नींद आने के उपाय हिंदीमें ?-नींद नही आ रही ?जरुर पढ़े -Tips for good sleep

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नींद एक वरदान है हमारे लिए. नींद में जो आराम मिलता है वह दुसरे किसी में नही मिलता. ध्यान और समाधि में ज्यादा आराम मिलता है. लेकिन सामान्य मानवी के लिए तो नींद ही उनका एक भाग है. आदमी बिना सोये लम्बे समय तक जिन्दा नही रह शकता जीवन काल का तीसरा भाग नींद में व्यतीत होता है. मनुष्य को ही नही प्राणी को भी नींद आती है मतलब की नींद का जीवन में महत्व का रोल है.

नींद में होता क्या है यह एक रहस्य है -secret of sleep

नींद आज तक रहस्यमई साबित हुई है. क्यों की नींदमें ऐसा क्या होता है की हमे आनंद और ताजगी मिलती है ? वह आज की पहेली भी है. अगर हम कहेगे की नींद में body और mind की सारी क्रिया बंध हो जाती है. तो ये भी सही नही.

क्योकि शरीर के भीतर जो क्रिया होती है वह तो शुरू ही रहती है. दूसरी बात है की माइंडकी क्रियाभी चालू ही रहती है. क्योकि इस स्थिति में हमे स्वप्न भी अक्सर आते है. इतना ही नही विज्ञान के अनुसार इस समय हमारा mind कुछ जरूरी प्रक्रिया भी करता है.

लेकिन आज लोगो का जीवन ऐसा हो गया है की नींद नही आने की समस्या आम हो गई है. काफी सारे लोग यही समस्या लेकर घूमते है की उसे नींद नही आती. पूरी रात करवटे बदलते रहते है लेकिन नींद आती ही नही.

ऐक कहावत भी है की पास अगर पैसे कम हो तो चलेगा लेकिन नींद आनी चाहिए. लाख रुपे के बिस्तर हो लेकिन पूरी रात यु ही बिना सोये बीत जाये तो क्या फायदा ? नींद का एक अध्यात्म रहस्य भी है हमारा ब्लॉग एक अध्यात्म कोचिग है. हम सभी बातो को इस नजरिये से देखते है.

आप को भी यही दिव्यता और दिव्यतम ज्ञान यहा पर शिखाया जायेगा. क्योकि यहा पर ही कोई आशा की किरण दिखाई देती है. सभी दिशामें हमारी शक्ति का व्यय होता है यहाँ पर ही हमे नई उर्जा, आनंद और शक्ति का बड़ा स्त्रोत मिलता है. नींद अध्यात्म का भाग है वह समजने से पहले हम थोडा विज्ञान क्या कहता है वह जान ले !!

हम जीवन के सारे मसले इन असरदार इलाज से ठीक करते है. इसलिए इनके बारेमे भी यही समजाय जायेगा. यहा हम tips for good sleep भी समजाये गे.

नींद का विज्ञान-what is the science of sleep ?

हम शुरूआती दौर में ऐसा माना जाता था की नींद में हमारा दिमाग पूरी तरह शांत हो जाता है. लेकिन उन पर जब रिसर्च हुए तब एक आश्चर्य जनक बात उभर कर सामने आई की उल्टा नींद में तो दिमाग ज्यादा काम करता है.

Type of sleep

नींद में कुछ ऐसी प्रक्रिया दिमाग में होती है की जो जीवन के लिए बेहद जरूरी है. पुरे शरीर को शक्ति और संतुलित करने के लिए यह प्रक्रिया चलती है. नींद के अलग अलग पार्ट होते है. इसमें दो प्रकिया होती है १ non-REM sleep २ Rem sleep.

Non REM sleep में तिन और चार प्रक्रिया होती है. पहली है थोड़ी हलकी सी नींद और जाग्रति. मतलब की थोडा नींद में तो थोडा जागृत में. दूसरी है थोड़ी हलकी सी नींद, तीसरी और चौथी है गहरी नींद.

यही गहरी नींद धीरे धीरे Rem Sleep नींद के दुसरे पार्ट में पहोच जाते है. जहा हार्ट बिट भी बढ़ जाते है और शरीर एक मुडदे की तरह हो जाता है दूसरी प्रक्रिया में हम सपने भी देखते है. अगर शोर्ट में बताये तो हमारी भाषा में.

शुरूआती दौर में हम थोड़ी नींदमें तो थोडा जागृतमें होते है फिर धीरे धीरे गहरी नींद आनी शरू होती है. उसी गहरी नींद में अगर मन कोई सोच में डूबा हो तो स्वपन भी आते है. मतलब की तिन प्रक्रिया सामने आई.

अर्ध जागृत, गहरी और स्वपन वाली नींद. ये सारी नींद की प्रक्रिया कुदरती होती रहती है. हमारा शरीर clock wise चलता है. मतलब की ऐक timing set हो जाता है. समय समय पर भूख लगती है. समय समय पर प्यास. समय समय पर हमे शौच आदि क्रिया की इच्छा होती है.

मतलब की एक रिधम हो जाता है. लंबे समय तक जो क्रिया बार बार करते रहते है. उनके आधार पर ये क्रिया का टाइम टेबल सेट हो जाता है. विज्ञान के अनुसार नींद के समय हमारा दिमाग शांत नही हो जाता लेकिन कुछ जरूरी अन्य क्रिया में व्यस्त हो जाता है.

Advantage of sleep

जिसके कारन हमारी पूरी बोडी का भान भी चला जाता है. हमारी दिनभर की जो जो क्रिया है वह सब नींद में व्यवस्थित हो जाती है. हमारा mind पूरी तरह काम करने के लिए योग्य हो जाता है. नींद हमारे पाचन Metabolism system पर भी effect करता है.

अगर कोई एक रात भी पूरी तरह नही सोया तो उनको अपसेट महसूस होने लगता है. अपचा और मनसिक तनाव का अनुभव होता है. दिनभर सुस्ती महसूस करता है. अगर यह लम्बे समय तक चलता रहा तो ऐसे व्यक्ति पर heart attack का जोखिम बढ़ जाता है.

विज्ञान की द्रष्टि में भी नींद का महत्व स्वास्थ्य और दिमाग की कार्यक्षमता के लिए बहुत ज्यादा है. अब आगे अध्यात्म के बारेमे सोचते है.

नींद नही आने के कारण-Reason for not sleeping

अब हम जो मुख्य समस्या है उनके बारेमे जानने की कोशिश करेगे. मतलब की नींद क्यों नही आती और what is the good for best sleeping. नींद न आने के कारण और उनके उपाय.

इनके लिए हमे नींद कैसे आती है वह समजना चाहिए. प्रथम तो यह जानना है की नींद कोई क्रिया नही कोई काम नही की हम करने लगे. नींद अपने आप आती है. उनके लिए केवल हम माहोल खड़ा कर शकते है. बस यही तो नींद न आने का कारण है. माहोल का बिगड़ना ही अनिंद्रा को जन्म देता है.

  1. दोडधाम भरी इस जिन्दगी में मन का सतत व्यग्र होना. रात को भी यह व्यग्रता शांत नही होती और नींद उड़ जाती है. अत्यंत संवेदनशील स्वभाव मतलब की जो कुछ सुनते है, देखते है, जो कुछ हमारे आसपास होता है उन सब में अत्यंत ज्यादा उलज़े रहना.
  2. रात को सोते समय कोई परेशानी या चिंता को लेकर बैठ जाना. कोई कोई लोगो को ऐसी गलत आदत होती है की वह रात को ही दिन की सारी परेशानी का पिटारा खलते है. दिन में जो कुछ बिता है उनके बारेमे सोच कर मन ही मन व्यग्रता का अनुभव करते है.
  3. इससे मन एक ऐसी स्थिती में पहोच जाता है की बेचेनी का अहेसास होता है और नींद उड़ जाती है. लंबे समय तक सोचते रहने से ये बीमारी लागु हो जाती है.
  4. चिंता, तनाव भी नींद में बाधा उत्पन्न करता है. आसपास का अशांत और कोलहाल भी नींद में बाधा उत्पन्न करता है.
  5. मन की एक बेबस स्थिती नींद की दुश्मन है. कभी कभी हम ऐसे विचित्र सोच में डूब जाते है की जिसका कोई उकेल न हो मतलब की यहाँ अपने आप को बेबसता और कही फस गये है ऐसा अनुभव करने लगते है जिससे तुरंत नींद उड़ जाती है.
  6. खास कर के जैसे जैसे मान रुतबा, पैसा बढ़ जाता है उनके साथ साथ यह विचित्र उल्जन भी सामने आती है. क्योकि यहा पर अपने आप को दुसरे से आगे दिखाने की होड़ लगी रहती है इसमें अगर कोई अन्य आगे निकलता मालूम हो की तुरंत ही मन एक ऐसी विचित्र स्थिती में फंस जाता है की नींदउड़ जाती है.
  7. इसीलिए तो गरीब लोगो को ज्यादा नींद आती है और बहुत आमिर हो ! लाखो रुपे के बिछोने हो ! फिर भी पूरी रात करवटे बदलते रहते है !
  8. काम वासना नींद न आने में कारणभुत बन शकती है. मन में बुरे विचार आते हो तो चित दूषित होता है और नींद उड़ जाती है.
  9. कोई व्यसन का शिकार हो गया हो तो जब तक उनकी तलप नही समती तब तक नींद भी नही आती.
  10. आर्थिक, सामाजिक या किसी से भय हो तो भी नींद उड़ जाती है. शरीर में कोई व्याधि हो दर्द होतो भी नींद उड़ जाती है

गहरी नींद आने के उपाय

जो भी हो कोई भी कारण से नींद न आती हो. लेकिन हमारे लिए यह बात बिलकुल अच्छी नही. यह सेहत के साथ एक खिलवाड़ जैसा है. नींद आने के लिए हमे प्रयास करने चाहिए.

यहा पर बात इतनी है की जो कुछ हमने उपर पढ़ा वह सब हमे हटाना है तब नींद आ शकती है फिर भी हम रामबाण इलाज यहाँ पर लिखते है जिससे आपको अचूक नींद आ जाये. ऐसे कई सारे लोग है जिसे नींद के लिए दवाईकी गोलियाभी खानी पड़ती है तब जाके नींद आती है.

  1. जब आप बिस्तर में जाओ उनसे पहले सारी समस्याऔ को और अपने प्रश्नों को एक diary में अलग अलग topics के रूपमें लिख ले और अपने दिमाग से यह कहे की ये सारे में कल सोचुगा. जैसे जैसे बार बार यह सोच आये की उन्हें अटकाये उनमे उलज़े नहीं. एक ऐसी आदत ही बना लीजिए की जैसे ही बिस्तर पर सोने के लिए जाये की तुरंत मन से खाली हो के जाये.
  2. उन बात को सोचे ही नही जो आपको व्यग्र करती है. मन को कोई दूसरी दिशामे मोड़ दीजिए.
  3. मुजे सोना है ये बातभी भूल जाये बस आप मन को शांत करते रहे मतलब की मन को विचार रहित करते रहे धीरे धीरे नींद कब आजाएगी पता ही नही चलेगा.
    क्योकि यहा हमे अपने यह शरीर और मन के भान को भूलना है तब ही नींद आ शकती है. मुजे नीदं क्यों नही आती ? ऐसा बार बार सोचते रहेगे तो नींद आती होगी तो भी नही आएगी ! क्योकि हमने पहले भी कह दिया की नींद कोई कार्य नही की हम करने लगे और होने लगे. हमे तो बस मन को शांत करते जाना है और वह अपने आप आजाएगी.
  4. यहा पर तो हर दर्द की दवा योग बन शकता है. योगमई जीवन अपनाया जाये और ज्ञान के विषय पर बार बार पढ़ते रहेगे तो आपके मन की स्थिती इतनी उच्च हो जायेगी की नींद तो तुरंत आ जाएगी. क्योकि विपरीत स्थिति का निर्माण ही वियोग से होता है जो योग से ठीक होता है.
  5. गहरी सास लेना और अपना ध्यान जो कुछ भी हमने पुरे दिन सोचा है उन पर से हटा कर दिव्य विषय में या फिर धीरे धीरे अपने सासों पर ध्यान देने से भी मन शांत हो जाता है और नींद आने लगती है.
  6. अध्यात्म का यही एक राज है. जो में इस ब्लॉग में बार बार बतलाउगा की हम उनसे जुड़े रहते है तो इतने उलज नही जाते की भान ही भूल जाये और नींद भी चली जाये.
  7. इन सब उपाय में जो प्रमुख बात है वह इतनी ही है की हमे किसी भी तरह अचेत हो के नही जीना है अचेत एक ऐसी बेभानता है. जो मन के विचारो के अधीन हो के नाचता रहता है. मन इस सारी घटना और दुन्यवी बातो में उलझता है.
  8. इस जग को कौन नही जानता ? इसमें भी हद बाहर की इच्छाऐ !! असंतोष !! उसमे भी आज कल के युगमे मोबाईल, टीवी, इंटरनेट इत्यादि !! हमे इतना उलझा देते है की मन को शांत करना मुश्किलसा हो जाता है. इनसे थोडा संभलकर चले तो भी नींद में सुधर हो शकता है.

बात कोई विचार की नही. विचार तो सभी को आते है लेकिन उनसे कितना तादात्म्य साध लेते है यही बात हमारे लिए माईने रखती है सभी चीजो को दो बातो में बाट देना चाहिए एक बाहिर और दूसरी भीतर.
बाहिर जो कुछ भी है वह नित्य परिवर्तनशील है और भीतर जो है वह हमारा स्वरूप ही है वही आनंद है और सची प्रसन्नता है. इसी बात को लेकर हमे आगे बढ़ना है अगर यह चिन्तन शुरू हो जाये तो नींद तो बहुत सहज है ध्यान भी लग जायेगा और नींद से भी ज्यादा आनंद मिलने लगेगा

नींद का अध्यात्म से संबंध-Relation of sleeping with spirituality

वास्तवमे अगर आप नींद को ठीक तरीके से समजना चाहते है तो अध्यात्म में ही तलासना पड़ेगा क्योकि नींद एक ऐसी रहस्यमई क्रिया है की उसका जवाब अध्यात्म में ही छिपा हुवा है.

नींद को अगर कोई समाधि कहना चाहे तो काफी हद तक उन दोनों में साम्य है. लेकिन यहा पर भेद यही है की ये जागृत अवस्था में नही होती. लेकिन अज्ञान अवस्था में होती है. मतलब की अपनी चेतना की अनुभूति होती है लेकिन जाग्रत रहकर नही.

नींद में जो रहस्यमई क्रिया होती है वह है अपने स्वचेतना से संपर्क. यहा पर छोटासा कनेक्शन जुड़ जाता है. यही हमारी शक्ति का मुलभुत स्त्रोत है. हमे अपने आप की जो अनुभूति. में हु के रुपमे है वही तो हमारी स्वचेतना है. जब तक हम उनसे जुड़ते नही तब तक हमे शक्ति का अहेसास नही होता जागृत स्थिती में शक्ति मिलने के बजाय खर्च ज्यादा होती है.

जागृत में जो कुछ शकती इसमें खर्च हो जाती है वह नींद में भर जाती है. इसमें भी अगर गाढ़ निद्रा आये तो उसमे तो ज्यादा शक्ति और चेतना के साथ जुड़ते है. इसलिए तो जब गाढ़ निद्रा आती है तब हम यह कहते है की “आज रात तो बड़ी ताजगी का अनुभव हुवा, बड़ी गहरी नींद आ गई !! “

नींद का समाधि के साथ संबंध

नींद को समाधी के साथ इसलिए compare किया जाता है की समाधि में देह का भान भूल जाते है तो निद्रा में भी यही होता है हमे निद्रा तब ही आती है जब हम शरीर का भान भूल जाये. अगर हम शरीर का भान नही भूलते तो हम नीदं में है ऐसा हम नही कह शकते.

क्योकि ये रात और दिन जैसा है. जब रात होती है उसे हम दिन नही कह शकते. रात पूरी होते ही दिन की शुरूआत होती है. इसी तरह से यहाँ भी जैसे ही हम नींद में चले जाते है की हमे जागृत की अनुभूति हट जाती है.

कहेनेका मतलब यही है की हम जाग जाते है तब हम सोये होते नही. सो जाते है तब हम जागे ऐसा नही पुरे विश्व में जो cosmic energy है. उनका बहाव हमे तब ही मिलता है जब हम हमारे स्वरूप में एकाकार हो.

क्योकि अगर चेतना की दिशा दूसरी इन्द्रिय में हो तब वह उपर से आ रही चेतना को ग्रहण नही कर शकता. निद्रा में यह भान अज्ञान की स्थिती में रहकर भूल जाता है इसलिए थोड़ी अल्प शक्ति और ताजगी का अनुभव तो होता है.

हालाकि समाधि जैसा विशाल और अद्भुत नही. फिर भी सामान्य मानवी के लिए तो यही एक आधार है. हा हम ध्यान विगेरा करके नीदं की थोड़ी कमी को पूरी कर शकते है या फिर ऐसी स्थिती का निर्माण कर शकते है की हमे नींद गहरी आये. नींद भले ही अल्प समय की हो लेकिन गहरी होनी चाहिए.

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