एक नवीनतम मार्ग जीवन जीने का !! || Who is a spiritual person?

मित्रो ! एक बेहद महत्वपूर्ण बात हम यहा पर करने वाले है. ये बात ऐसी है की हमारी आजतक की पूरी समज को हिलाकर रख देगी ! हमारी इस चर्चा में हमे ये भी जानने को मिलेगा की वास्तवमे अध्यात्मिक व्यक्ति कैसा होता है ? इतना ही नही उसे क्या अहेसास होता है. ये हम कुछ अनुभव से और कुछ अन्य के अनुभव से कहते है.

एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है की हम एक भूल कर बैठते है और वह यह है की हमारे शरीर को ही केवल अपना अस्तित्व मानने की !! हमारा शरीर मतलब ये physical body.

हा ये बात सच है ! हालाकि हम ये नही कहते की हमे अपने शरीर की केर नही लेनी चाहिए. लेकिन हमे ये भी याद रखना चाहिए की केवल शरीर के स्तरपर ही सोचते रहने से हमारी यात्रा रुक जाएगी मतलब हम विकसित नही हो पायेगे.

हमारे भीतर एक चेतना है जो हमे शक्ति देती है. इतना ही नही हमे अपने आप का जो अहेसास होता है वह उन्ही के कारण ही होता है. हम बिना शरीर के भी अस्तित्व रखते है. मतलब ये शरीर न हो फिरभी हम आगे की यात्रा पर मतलब दूसरे शरीर पर जाते है.

हालाकि हम उसे जान नही पाते. आधुनिक विज्ञान ने जो खोजा है उनके मुताबिक हमारे अस्तित्व का एक बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हमारे शरीर छोड़ने के बाद भी इस इथर में रहता है. उसे Quantum theory कहते है.

हमारे वैदिक सिध्धांतो के अनुसार यही शुक्ष्म शरीर है और हमारी मेमरी को याद रखते हुवे आगे हमे बोडी दिलाता है.

कुल मिलाके एक बात तो तय है की हम शरीर और मन से बहुत उपर है. ये दोनों हमारे साधन है हम वे नही है ये जानना होगा.

यहा पर हमारे वर्तमान शरीर में भी, जो कोई भी घटना या सोच हमारे मन में उत्पन्न होती रहती है. उनके अनुसार हम जो भी कर्म करते है वह सब एक स्मृति के रुपमे स्टोर हो जाती है. यु कहो की हमारा ये पूरा क्रम एक अलग ही प्रकार के डेटा के रुपमे स्टोर हो गया. जैसे कम्पुटर में हो जाता है न इसी तरह से !!

बादमे इसी डेटा धीरे धीरे बाहर प्रगट होता है मतलब एक स्थूल रूप लेने लगता है.

वही हमारा आगामी जीवन भी तय करता है और जन्मभी. अगर हम केवल हमारी इसी बोडी को ही मुख्य माने तो धीरे धीरे हमारी सारी सोच इन पर ही आधारित होगी. मतलब बहुत ही साफ है की ये बोडी बहुत ही कमजोर भी है और उसमे निरंतर परिवर्तन आता रहता है.

केवल इसी बोडी के आधार पर रहकर कोई निरंतर आनंदित नही रह शकता !! क्योकि अगर इनके साथ या इनसे जुडी हुई कोई भी वस्तु के साथ जरा सा भी अडचन आई की तुरंत ही हम दुखी होने लगते है.

दूसरी बात यह है की वह केवल अपने बारेमे ही सोचता रहा तो व्यक्ति यहा self centered हो जायेगा. वह ज्यादा भोग विलास में भी डूबने लगेगा. वासना से भरपूर हो जायेगा.

लेकिन अगर वह ऐसा सोचे की में एक दिव्य चेतना जो सर्व जगह पर है, उनका एक अंश ही हु. तो वह अपने भीतर विशालता हासिल कर पायेगा. वह दुसरो को अपना समजने लगेगा. पर्यावरण पर भी उसे बेहद लगाव होने लगेगा. प्रकृति के साथ वह बाते करेगा. लोगो को दुखी देखकर वह खुद ही दुखी होने लगेगा.

एकदम सरल होता जायेगा. अपने प्रत्येक कार्य को अच्छी तरह से कर पायेगा. मतलब जीवन की प्रत्येक घटना को वह बहुत ही सुंदर तरीके से भुगत पायेगा. वह चाहे उनकी पसंद की हो या नापसंद की.

उसे ये मालूम हो जायेगा की ये सब एक नाटक जैसा है बनावटी है मुझे इसमें इतना नही उलझना जितना में आज उलझा हु.

अगर आप ये ये प्रयास करे फिर देखे की आपका जीवन कितना मधुर हो जाता है.

What spirituality does to your body?

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