सफलता का राज क्या है ? | what is the secret of success ?

मित्रो, आम तौर पर देखा जाये तो ये सफलता शब्द बहुत ही प्रचलित हो गया है. उनके बारेमे आपको ढेर सारे वीडियो और ब्लॉग भी मिल जायेगे ! ये तो बड़ा आसान है.

लेकिन क्या आपको मालूम है की ये सफलता के बारेमे सोचते समय कुछ गलतीया हम कर बैठते है. इसलिए या हम सफल नही होते, या तो सफलता मिलने पर भी हमे इतनी ख़ुशी नही मिलती जितनी हमने सोची थी.

अगर इस तरह से देखा जायेतो ये एक भेड़चाल बन गई है. एक ने कहा दुसरे ने सुना फिर दुसरे ने कहा तो तीसरे ने सुना… इस तरह से एक ही बात को अलग अलग रुपमे दर्शाते रहते है लोग ! इनका result of success ये आता है की जो सफल होने ही वाले थे वही सफल होते है.

और लोग ये मानने लगते है की देखो ये इस तरह से सफल हो गया. इसे खोखली मान्यता fake belief भी कह शकते है.

कोई एक सफल व्यक्ति ये कार्य कर रहा था इसलिए हम भी ये करने लगे तो ये बात कुछ हजम होने वाली नही है.

एक उद्योगपति अपने पिछले समय में घर घर जाके साबून की टिकिया बेच रहा था. अगर कोई ये पढ़े और स्वयम भी ये करने लगे तो वह भी वैसा ही बन जायेगा ऐसा नही हो शकता. तो उसे क्या करना चाहिए. ?

दूसरी बात हमारा जो ब्लॉग है वह केवल उपर उपर की बात बताने के लिए नही है. यहा आप को ये बात समजने को मिलेगी की सफलता एक सापेक्ष ख्याल है. मतलब की उनका कोई मापदंड नही है. दुसरो की तुलना पर ये आधारित है.

सफलता से एक आनंद का अहेसास होता रहना चाहिए अगर वह न मिले तो ये एक बोझ बन जयेगा. कभी कभी तो ऐसे सफल लोग स्वयम भी जानते है की हम सफल होने के बाद आनंदित नही है.

सफलता का राज यह है की हुबहू नकल करना छोडो-how to get success

जब कोई सफल इन्शान के बारेमे पढ़ते है सुनते है या देखते है तब तुरंत ही हमे ऐसा ही हुबहू बनने की चाह उमड़ पड़ती है. माफ़ कीजिये !! लेकिन हमारी यही चाह को देखकर ही सफल लोग भी ज्यादा दिखावा करते है. बहुत सारे motivational speaker भी ये सब जलवे दिखाके आपको प्रलोभित करते है.

हालाकि, आगर आप प्रोत्साहित हो तो इसमें कोई गलत भी नही.

लेकिन केवल नकल करने लगे तो थोड़े दिन में ही आप थक जायेगे आपको ऐसा भी लगने लगेगा की अरे में तो कुछ नही कर पाया. क्योकि हरेक व्यक्ति एक ही जैसा मतलब की एक ही क्षेत्र में और एक ही स्थिति के नही बनते !!

हरेक की कक्षा अलग अलग हो शकती है. इसे किसी खास सांचे-ढांचे या मॉडल में फिट नहीं किया जा सकता क्योकि ये व्यक्तित्व विकास की प्रक्रिया है. आप केवल किसी के जैसा बनने के बजाय अपने व्यक्तित्व पर ध्यान दे अपने आप को बहेतर बनाने में लग जाएँ.

किसी के जैसा हूबहू बनने के सोचने से बजाय कुछ अलग दिशा में जिसमे आप कुछ कर शकते हो उस तरफ प्रयास करे

हा एक बात है की आप उसमे से प्रेरणा ले शकते है उसने जिस तरह की महेनत की है उस तरह की महेनत आप अपने subject पर कर शकते है.

मतलब की एक काम जो आपको पसंद है उनको बस करते जाये करते जाये उसमे महेनत कीजिए धीरे धीरे उनका result जरुर आएगा लेकिन भेड़ चाल की तरह उसने जो किया हुबहू में वैसा ही करुगा ऐसा नही..

कार्य के प्रति लगाव रखे नही के उनके बाद वाले परिणाम पर – Love your work

आपको जानके ये ताजुब होगा की सदीओ पहले जब ऐसे कोई स्पीकर भी नही थे तब work is worship का सिध्धांत भगवानने गीतामे दिया था !! जो विश्व में बहुत फेमस हो गया है.

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन-जरुर पढ़े

कार्य कि शुरुआत और उनपर थोडा लम्बे समय तक लगे रहना चाहिए. कल के प्रति मतलब की कार्य के result के प्रति सोचन नही चाहिए क्योकि मन जब फल के बारेमे सोचे की तुरंत कार्य करने की इच्छा का ही नाश हो जाता है फिर उनका मन केवल यही सोचने में लगे रहता है की मुझे कब मेरे इच्छा मुताबिक फल मिले

आने वाली निष्फलता के लिए तैयार रहे – Prepare self for failure

थोडा विचित्र लगे लेकिन ये सच है निष्फलता का डर सफल नही होने देता. जो भी हो देखा जायेगा ऐसा सोचकर एक बार निष्फलता के बारेमे भी तैयार रहे तो शायद निष्फल हो जाये फिर भी डर नही लगता और फिर से उतनी ही जोर से अपने कर्म में लग शकते है वरना निष्फलता आयेकी तुरंत ही कार्य को ही छोड़ देते है.

दूसरी बात ऐसी है की कोई भी व्यक्ति सीधा ही आगे नही बढ़ जाता मतलब आज शुरू किया और कल उनको सफलता मिल गई ऐसा नही है. वह एक बार तो गिरता ही है फिर वह सम्भलता है.

इस तरह से गिरना और संभलना लगा रहता है लेकिन प्रत्येक गिरावट में वह थोडा उपर उठा होता है. उसे कुछ न कुछ तो मिला होता है. अगर उसे शुक्ष्म द्रष्टिसे देखा जाये तो उनके लिए आगे जाके और प्रयास करने में फायदेमंद होगा

एक स्टेज उपर उठिए

मित्रो एक बहुत ही अद्भुत बात है की अध्यात्म spirituality can help in success हमे मदद कर शकती है. थोड़ी अलग लगेगी लेकिन बात सही है. हमारे भीतर अनेक शक्ति या छिपी हुई है. उन्ही शक्ति को बाहर लाने के लिए हमे थोडा भीतर भी जाना होगा क्योकि जो बाहर है वह भीतर का ही प्रतिरूप है.

हमे अपने गिरबान में झांकना होगा तो हमे पता चलेगा की हम भीतर से टूट चुके होते है. बात करते है बड़ी बड़ी लेकिन भीतर तो सब कुछ अस्तव्यस्त है. पहले हमे भीतर जो सोच की अस्तव्यस्तता है उसे ठीक करना होगा.

मन से भी उपर जो हमारी अपनी सत्ता है. उसे पहचानना होगा जब तक ये नही होगा तब तक दूर का हमे नही दिखेगा हम केवल छोटी छोटी बातो में ही उलज ते जायेगे. द्रष्टि को गहरी बनाने की चावी अध्यात्म के पास है.

आदत को बदले अच्छी आदत डाले

मित्रो ये बात यहा पर जरा अलगसी लगे लेकिन बिलकुल सही है हमे आपनी आदत बदलने का प्रयास करते रहना चाहिए. क्योकि बिना कुछ किये भी कार्य तब ही होगा जब हम आदत से जुड़े हुवे है. आदत की भूमिका बहुत ही मुख्य है इसमें क्योकि आदत से क्या होता है की कार्य अपने आप ही होने लगता है हमे उनके बारेमे बार बार सोचना नही पड़ता.

इनसे विपरीत अगर आपकी आदत अच्छी नही तो आप लाख चाहे फिर भी कुछ नही कर पायेगे क्योकि आप को करना है लेकिन आप से हो नही पाता.

इसलिए अपने जीवन को नियमित बनाये ये मुझे करना ही है तो करना ही है ऐसा सोच कर उसे किसी भी हाल में करे

सोचते रहने से अच्छा है शुरू कर देना

अगर आप केवल कार्य करने के बारेमे सोचते ही रहेगे तो कुछ काम होने वाला नही है. क्योकि शुरुआत ही आगे बढ़ेगी और वास्तविक काम में परिवर्तित होगी केवल सोच तो एक कागज के घोड़े की तरह साबित होगी जो हमे आगे बढने ही नही देगी. दूसरी बात है की सोचते ही रहने में इतना समय बीत जाता है की जब हम कार्य करने लगे तब हम थक जाते है और पूरी शक्ति केवल सोच में ही बीत जाती है.

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