ज्यादा सोचने की बीमारी ? हा ये धीरे धीरे उभर कर आ रही आजकी समस्या है.
अगर कोई व्यक्ति आपको ये कहे की आप दिन रात हाथ पैर हिलाते रहो तो आप कितने थक जाते है. आपकी पूरी शक्ति उसमे चली जाती है आप ये भी कहेगे की मैंने इतने समय तक ये किया लेकिन उनका परिणाम क्या आया ? ये तो शक्ति की बर्बादी है.
ठीक उसी तरह से हमारा मन निरंतर अगर सोचता रहे तो ऐसा ही होगा वह बस एक लूप में चला जायेगा. अपनी सारी शक्ति उसमे चली जाएगी. ऐसा कहा जाता है की हमारी शक्ति का बहुत सारा हिस्सा माइंड में ही चला जाता है. उसमे से बहुत सारी बाते ऐसी होती है की जिनका कोई वास्तविकता से कोई सम्बन्ध भी नही
फिर भी बस उनके बारेमे बिना बजह सोचते रहते है नतीजा ये आता है की हम ज्यादा सोचने की बीमारी के शिकार हो जाते है.
शुरुआत में तो ये बहुत सहज होता है व्यक्ति को पता नही चलता की ये कब दाखिल हो गया.
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ये क्यों होता है ? Why does overthinking happen?
इनका कारण है fear मतलब भय जब व्यक्ति कोई एक ऐसी घटना का शिकार हो जाता है तब वह उनके बारेमे सोचता है फिर धीरे धीरे जब भी कोई ऐसी घटना घटे जिसमे सम्भावना हो कोई डर का माहोल हो तो तुरंत वह कुछ ऐसा वैसा सोचने लगता है उसमे भी उसे ये लगने लगता है की अब क्या होगा ?
जो घटना दुसरे व्यक्ति के साथ घटित हुई हो वह अपने बारेमे लागु करके देखता है और बस यही सोचता है की यही मेरे साथ भी घटित होगा.
अगर आप कोई भी घटना के बारेमे कोई विषय के बारेमे एक लिमिट से जायदा सोचने लगते हो तो धीरे धीरे वह overthinking में परिवर्तित होने लगता है
किसी वस्तु व्यक्ति के साथ अत्यंत लगाव हो तो भी ये हो शकता है. चीज वस्तु और व्यक्ति के साथ अत्यंत लगाव हो गया हो तो दिन रात उनके विचार आने लगते है फिर तो बस ये मेरे पास से कोई ले न जाये ये छीन न जाये बस यही डर लगा रहता है कभी कभी तो व्यकित इतना भयभीत हो जाता है की उसे बस ऐसे ही नकारात्मक ख्याल ही आते रहते है जो बादमे overthinking में तबदील हो जाता है.
अगर कोई व्यक्ति ज्यादा कल्पनाशील हो और उनकी कल्पना का कोई रचनात्मक उपयोग नही करता तो ये कल्पना शक्ति धीरे धीरे एक बात पर अटक कर रह जाती है जो धीरे धीरे ओवेर्थिकिग में तबदील हो जाती है