ध्यान करते हो तो ये जानना बेहद जरूरी-meditation kaise kare

ध्यान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे हम पूरी तरह से recharge हो जाते है. आम तौर पर तो लोग इसे एक concentration लगाने की तरकीब ही मानते है. मतलब की हम मन को कोई एक जगह पर स्थिर करे ताकि मन की इधर उधर की भागदौड़ कम हो !!

मतलब साफ है की ऐसा करने से मन की यही उछल कूद धीरे धीरे बंध हो जाती है. या कम हो जाती है. और जो काम हम करते है उसमे एक चित हो पाते है.

मगर अगर कोई ध्यान का कोई भी अभ्यास न करे.. मन को इधर उधर भटकने ही दे तो उनका ये भटकाव बहुत सारी शक्ति को व्यर्थ ही गवा देता है. कार्य की सफलता का आधार यही है की हम उन पर कितना ध्यान दे. एकाग्र शक्ति का यही तो जादू है.

लेकिन यहा हम जो ध्यान की बात करते है वह थोड़ी ज्यादा असरदार है, गहन है, और हमारे पुरे जीवन को सुधार शकती है. बात कुछ इस प्रकार की है की सामान्य ध्यान जो केवल एकाग्रता ही विकसित करे वह कभी कभी हमे अलग रास्ते पर ले जा शकता है.

क्योकि एकाग्र हुवा मन कोई विपरीत विषय में भी एकाग्र हो शकता है. ऐसे समय तो बात ज्यादा बिगड़ेगी क्योकि हम तो उपर उठाना चाहते है. दिव्य आनंद और प्रसन्नता से भर जाये ऐसा चाहते है. लेकिन ऐसा यहा पर कुछ नही होगा. तो सही तरीके से ध्यान को समजना बहुत जरूरी है.

वरना धीरे धीरे ये सब एक गहरे असंतोष में डूब जायेगा. वास्तवमे हमे जो अहेसास होता है वह केवल बाह्य स्थिति के कारण ही नही है लेकिन हमारे रवैये पर भी निर्भर करता है. हम लम्बे समय तक उसे किस तरह से देखते है !! हमारी मान्यता क्या है ?

एक व्यक्ति अगर अपनी रूटीन लाइफ को बोजिल समजता है तो उसे अपने सहज कार्य में भी असंतोष ही होगा. वह बार बार अपने वर्तमान जीवन को ही कोषता रहेगा. वह कोई दिवा स्वप्न में जीना पसंद करेगा लेकिन अपने आप को बहेतर बनाना या अपने कार्य पर पूरा ध्यान देना उस ओर कोई प्रयास नहीं करेगा.

उनकी ये पूरी विचार सरणी धीरे धीरे उसे जीवन का भार ढोने वाली बना देगी.

ध्यान करते हो तो ये बात जान लो की ये केवल एक थोड़े समय की क्रिया नही लेकिन अपने जीवन को बदलने की क्रिया है. ये आपके जीवन को भीतर से बदल देगी. अपनी धारणा मान्यता को इस तरह की कर देगी की जीवन के प्रत्येक पल ध्यान हो जाये !!

इनका कारण यह है की

ध्यान का अर्थ ही है हमारे विशालतम अस्तित्व के साथ जुडाव.

जो हमारी संकुचित विचार सरणी को ही बदल के रख देगा. हम एक कुवे में पड़े हुवे मेढक नही रहेगे लेकिन जगत को विशाल अस्तित्व को समज पायेगे.

ध्यान को जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाना चाहिए. सुबह पर एक स्थान पर बैठ कर और दिन भर चलते फिरते ध्यान में रहना शिखना होगा !!

यही असल में ध्यान है. क्योकि केवल हम एक विषय पर केन्द्रित हो पाए एकाग्रता विकसित कर पाए इतना नही है यहा पर.

स्थिति को उपर उठाना !! दिव्य स्थिति मतलब की हम भीतर के साथ भी जुड़े अपने इस बाह्य क्रियाकलापों के साथ ही नही लेकिन जिनके कारण ये सब है उन्हें भी जानना चाहिए.

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