पहले कुछ शुरू तो करे फिर बोलना || Motivational quotes for success

मित्रो, आज में बहुत ही शानदार बात ले कर आया हु. जो आप सब के लिए बेहद important है. आपने ऐसे कितने लोग देखे होगे जो बाते बनाने में बहुत ही होशियार होते है. वह कोई भी काम की मर्यादा को खोज लेते है मतलब उनमे क्या नुकशान है, फिर बादमे उनके बारेमे लम्बी चोडी बाते करने लगते है.

दुसरे व्यक्ति को भी बहेकाते है !! खुद करते नही दुसरो को भी कुछ नही करने नही देते. वास्तवमे ऐसे लोग कुछ करना चाहते ही नही. लेकिन अपनी ये आलस को छिपाने के लिए वह हर हमेंशा कोई न कोई बहाना बना लेते है.

फिर जब भी कोई भी काम करने की बारी आती है तब उनको ही आगे कर देते है. ताकि उसे कार्य न करने का कोई मजबूत कारण मिल जाए.

व्यक्ति हर हमेशा अपनी गलतीओंको और limitation को, कोई न कोई कारण बनाकर जाहिज ठहराने का प्रयास करता है. वह यही बात बार बार कहता रहता है की में तो सच ही हु. मेरे सभी प्रयास तो योग्य ही है लेकिन गलती सामने वाले की है !! या संयोग ही ऐसे create हो गये थे की में कुछ कर न पाया !!

अपनी गलतीयो का बोज वह दुसरो के कंधो पर डाल देता है. क्योकि उसे उनका भार न लगे ! ऐसा वह इसलिए करते है क्योकि वह समाधान ढूंढते है और मिल जाने पर शांत बैठ जाता है. अगर ऐसा होता तो में ये कर पाता इसलिए मुझे इनसे कुछ पछतावा करने की कोई जरूरत ही नही है !!

वास्तव में अगर वह ऐसा नही करता तो अपन आप में कुछ सुधार भी पाता लेकिन यहाँ पर ये कुछ नही हुवा क्योकि उनकी ये बहाने बनाने की आदत ही उसे रोकती रहती है.

वह कार्य ही ऐसा था की में कर नही पाया !! या ये भी सोचता है की ये सब करने से क्या होगा ?

कोई भी कार्य करने में महेनत तो पडती ही है व्यक्ति उस महेनत से कतराता है इसलिए अपनी इसी महेनत न करने की आदत को इस तरह की फिजूल की दलील करके टाल देता है. या वह किसी भी तरह से इसे ठेलता रहता है लकिन कुछ करता नही है.

आदमी लम्बे समय से ऐसा करता रहे तो एक प्रकार की आदतसी बन जाती है. अब उनका परिणाम ये आता है की वह अफ़सोस करने लगता है मतलब की उनसे कुछ नही हो रहा है उनका गहरा घाव जैसे लगा हो.

धीरे धीरे ये बात एक सायकल की तरह हो जाती है मतलब की कुछ करता नही इसलिए कुछ होता नही !! और केवल बाते बनाता रहता है या केवल स्वप्न देखता रहता है. वह दिवा स्वपन में राचता रहता है. फिर धीरे धीरे जब ज्यादा समय बीत जाता है और वह कुछ नही कर पाता तो मायूस हो जाता है और अपने आप को में कुछ नही कर पाउगा ऐसा सोच कर या तो निराश हो जाता है या तो अपनी इस गलती को दुसरो पर थोपने का प्रयास करता रहता है.

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