What is Yoga in Hindi|What is Yoga definition

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yoga is all top to bottom

Hello friends, आज हम योग के बारेमे जानने का प्रयास करेगे. योग जो सन्यासी के लिए उपयोगी था वह आज के युगमे हमारे लिए क्यों इतना famous हो गया है ? अगर आप सफलता चाहते हो तो योग की जिए ? अगर आप बिना रुके लम्बे समय तक काम करना चाहते हो तो भी योग की जिए.

अगर आप निरितिशय आनद का अनुभव करना चाहते है तो भी योग की जिए !! क्या योग सारे दर्द की दवा बन शकता है !! अगर हा तो क्यों और कैसे  ? योग में वह कोनसे राज छिपे है जो हमे सफलता, आनंद और दिव्य चेतना की शक्ति देता है ? यह भी शिखना जरुरी है. आमतोर पर देखा जाए तो योग का प्रयोग प्राचीन समय में मुनिओं और सन्यासी करते थे. जिसे सन्यास लेके चला जाना हो वह योग का आधार ले कर पूर्णता का अनुभव करते थे.

लेकिन योगसे हॉते हुवे फायदे इतना ज्यादा है की यह हम सब के लिए बेहद उपयोगी है. एक बात यहाँ पर याद रखनी है की हमारी हर समस्या का उकेल योगमे ही छिपा हुवा है. यह कहने और सुनने की बात नही है. कई वैज्ञानिको ने योग पर प्रयोगो किया है. Study proves that yoga can help to improve stress and anxiety.

हमे ये तो मालूम है की योग को आज आसन के रुपमे देखा जाता है. किसीको भी अगर योग के बारेमे पूछो तो वह यह कहेगा की यह आसन करना, प्राणायाम करना, meditation करना योग है. लेकिन यहा पर हम योग हमारे लिए क्यों इतना महत्वपूर्ण है इसे जानने का प्रयास करेगे.

आसन हमे शरीर की तंदुरस्ती देता है. हमारा शरीर fit रहता है. प्राणायाम से हमारे शरीर में प्राण का संचार होता है. प्राण जीवनदेने वाली शक्ति है. योग के मुताबिक पुरे universe में जो गतिशील करता है वह प्राण ही है. इनसे आगे meditation से हमारी याद शक्ति ज्यादा तेज होती है.

हम कोई भी विषय पर सरलता से एकाग्र हो शकते है. यह लाभ हमने देखे. लेकिन यहा पर हमे जो योग के बारे में जानना है वह उनका जो गूढ़ रहस्य है वह है.

आखिर योग में ऐसा क्या छिपा है की दुनियाभर के लोग उनके पीछे दीवाने बने जा रहे है. अगर आप internet के बारेमे जानते है तो में आप को बताउगा की योग का अच्छा domain लेना हो तो आपको उनके य्यादा पैसे देने पड़ेगे. domain मतलब website का नाम. यही दिखाता है की योग का क्रैस दुनियामे दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है.

कोई कहता है की यह देखा देखि है. लेकिन यह सही नहीं है. Many research proves that yoga is the perfect for maintain our body and mind. Yoga can change our life completely. लेकिन हमे यहाँ तक रुकना नहीं है. इतना सारा जानने के बाद योग के बारेमे top to bottom समजना यहाँ पर जरुरी है.

इसी कारन मेने यह special course launch किया है इसमें योग की A,B,C,D पढाई जाएगी. योग के पीछे छिपा हुवा वह ज्ञान बताया जायेगा वह भी बड़े सरल तिरके से. मेरा यह course योग के बारेमे समजने में काफी हद तक मददरूप हो शकता है. इनके साथ साथ Patanjali Yog sutra जो योग को समजने के लिए जरूरी है उन्हें भी यहां पर समजायेगे.

योग के बारेमे इतनी अलग अलग व्याख्या क्यों है वह में एक example से समजाता हु. एक आदमी जमीन पर खड़ा है उनकी आखो पर पट्टी बांध दी जाये. अब उनके आगे बड़ा हाथी खड़ा कर दिया जाये. अब वह आदमी तो देखता नही की सामने कौन है. उसे हाथो से पहेचान ने को कहेगे तो वह कुछ अलग अलग ही बोलेगा. अगर वह हाथी के पैरो को छुए गा तो बोलेगा यह तो कोई बड़ा स्तम्भ जैसा लगता है. अगर वह उनके कानो को छुए गा तो वह कहेगा की ये तो बड़ा सुपडा जैसा है.

मतलब की वह स्पर्श करता है और अपने ख्यालातो के हिसाबसे बताता है. योग के बारेमे भी यही है. कोई उसे आसन करना कहेते है तो कोई उसे गहरी सासों को फेफड़े में भरना कहते है. !!! कोई कोई तो केवल जाप करना ही योग बताते है. तो कोई कोई लोग उसे best positive thinking के रुपमे देखते है. इसतरह से योगा के बारेमें बहुत सारी व्याख्या ये उपलब्ध है. जैसी जिसकी सोच वैसी योग की व्याख्या. इसलिए योग के बारेमे पूर्ण रूप से कहना मुश्किल है. फिर भी में भी यथाकचित प्रयास करता हु. यह पर हम उनके बारेमे in short जानेगे. इनके लिए हम Patanjali yoga sutra का आधार लेगे.

The uses of yoga help us in explaining their interpretation.

जीवन का कोई भी क्षेत्र हो योग सबकी आधारशिला बन शकता है. क्योकि उसके अनुशाशन से क्षमताऔ को बढ़ाया जा शकता है. यह क्षमता शारीरिक हो या मानसिक. या दिव्य चेतना जो हमारा divine self क्यों न हो. जिनके जरिये हम उन उचाईयो को पा शकते है जिसकी हम में क्षमता है. इसलिए यहाँ योग के बारेमे प्रारंभसे समजाने का प्रयास किया गया है.

मेने about us  के page में यह बात बतादी थी की we want not only information but experience. If we obey the rules of yoga and live yoga life with regularly asana, pranayam, simple meditation. we can live long and healthy life. Our body will become fit and beautiful figure. As well as our mind not be a garbage of wast thoughts.

And if we want to lift our self to divine self, we have to meditate deep. In this way both side yoga is useful for routine man and special yogi or yogini. विचारोमे दिव्यता लाने के लिए मे यहाँ योग सूत्र की एक सीरीज लिखूंगा. “सूत्र गान” (“quotes chanting”) की मदद से हम दिव्य चेतना भी जगा शकते है.

उनके अनुसाशित तरीके से अभ्यास करनेसे तंदूरस्ती, सफलता, आनन्द और जीवन ध्येय की प्राप्ति होगी यह एक निर्विवाद है. इन सबके लिए थोडा meditation और कुछ खास तरकीब के प्राणायाम और चिंतन करना होगा.

एक ओर बात,

यदी हमारे पास अगर कोई संगीत का वाध है और हमें उसे बजाना नहीं आता तो क्या होगा ?

ये हमारे लिए कोई काम का नहीं रहेगा. अगर किसी भी तरह हम उसे बजाये गे तो स !!! यह बहुत बेसुरा होगा. !!

मतलब की उनका उपयोग हम ठीक से नहीं कर पायेगे. उसी तरह से हमारे पास तन, मन और supreme power की दिव्य चेतना है किन्तु ठीक तरीकेसे इस्तमाल नही करने के कारण या तो वे बेकार पड़ी रहती है या उनका विपरीत उपयोग होता है. यही हमारी कठिनाईया का मूलतः कारन है.

What is yoga definition ? introduction of Yoga in Hindi

योग एक दर्शन है. अध्यात्म के six दर्शनों में से योग एक दर्शन है. इन six दर्शनों में

WHAT-IS-YOGA-IN-HINDI
  • Sankhya शबसे ज्यादा प्रचलित और अगर कोई विशाल दर्शन है तो वह संख्य है. आगे के सारे जो भी योग वगेरा है उसमे संख्यका वर्णन लिया गया है. भगवद गीतामे भी भगवान् सत्व, रजस और तमस गुणों का वर्णन करते है. इनके स्थापक महर्षि कपिल थे. उनके बारेमे तो श्रीमद भागवत में काफी कुछ वर्णन आता है.२०० इसा में उनकी स्थापना की गई ऐसा मानना है. प्रकृति और पुरुश ये शास्त्र के दो मुख्य तत्व है. इसी के आधार पर तो ये सारी श्रुष्टि रचाई है
  • Yoga दूसरी सताब्दी में इनकी स्थापना की गई. उनके सुजनहार पतंजली थे. जबकि योग तो उनके पहले भी था लेकिन सूत्रात्मक रजुआत है वह मुनि पतंजली ने की है. इन शाश्त्र के पीछे तो पूरा संसार पागल सा हुवा है. उनका कारन एक ही है की योग क्रियात्मक है. ज्ञान को क्रिया के साथ मिलाया जाये तो वह योग बन जाता है.
  • Nyaya दर्शनके स्थापक रुषी गौतम थे उन्होंने इस दर्शन शास्त्र में चिकित्सा को ज्यादा महत्व दिया था उनके मुताबिक पीड़ा से मुक्त होना ही ज्ञान है. लगभग छठ्ठी शताब्दी इस पूर्वे में उन्होंने इनकी रचना की ऐसा शंशोधको का अनुमान है.
  • Vaisheshika दर्शन के स्थापक मुनि कणाद थे. आत्मा अपने कर्मो के कारन ही जन्म लेती है ऐसा सिध्धांत इन सम्प्रदाय का है. ऐसा माना जाता है की इसकी रचना दूसरी शताब्दी इसा पूर्वे में हुई होगी
  • PurvMimamsa रुषी जैमिनी इस के स्थापक कहलाते है. यह वेदों के कर्म कांड पर आधारित है. इसा पूर्वे तीसरी शताब्दी में इनकी स्थापना की गई ऐसा अनुमान है
  • Vedanta ज्ञान कांड पर आधारित है वेद व्यसा ने ब्रह्मसूत्र की रचना करके काफी कुछ गहन रहस्य लिखे हुवे है. मूल रूपसे इसमें सारे ब्रह्माण्ड को केवल स्वप्न समान देखा गया है. जिव और ब्रह्म का विशद निरूपण इस ग्रथकी विशेषता है.

उपरोक्त सभी शास्त्रों यथार्थ दर्शन कराते है. मतलब की जिनसे ये सारा जग को जन शके वह दर्शन. इसमें योग का महत्व काफी कुछ है.

योग अपने आपमें स्वतंत्र है. मतलब की योग के आधार पर सर्वोच्च स्थिति को पा शकते है. योग सामान्य जीवन से लेकर दिव्य जीवन तक की यात्रामें बेहद उपयोगी है. उनका मतलब यह है की अगर कोई सामान्य मानवी योग का अध्ययन करे.

उनका अनुशाशन करता है तो उसे सुख, आनंद और सफलता सब कुछ मिलता है. जो जीवन में कुछ बनना चाहता है उसे सफलता की नई राह मिलती है. जो कोई प्रेम को पाना चाहता है उन्हें प्रेम और वासना में छिपे difference का पता चलता है. सार्वत्रिक प्रेम पाने के बाद उन दिव्यता और निरंतर आनंद सहज बन जाता है.

योग का अर्थ, योग के प्रकार – type of yoga, meaning of yoga

योग मूलतः संस्कृत शब्द युज मतलब की “जुड़ना” से आया है. “yog ka arth hai” एकीकरण दो का जहा सयोंग हो उसे योग मतलब जुड़ना कहते है.
यहाँ हम अलग हो गये है हमारी ही चेतना से उससे ही हमें जुड़ना है. supreme power ki जो चेतना है उनके एक अंश हम है. सीधी सी बात है अनंत ब्रम्हांड की जो दिव्य चेतना है उस चेतना का एक अंश हम है.

इसलिए हमे हमारा अस्तित्व का अहेसास होता है. में हु ! में जानता हु ! और आनंद की हमारी खोज हमारे आनंद मई स्वरूप का प्रतीक है. इन से अलग हो गये है उनसे फिरसे जुड़ना है यही योग है. इस सिध्धांत को नजरमे रखते हुवे हमे आगे बढ़ना है. मतलब की सारे विश्वमे जो दिव्य चेतना है हमे इसका अनुभव करना है लेकिन नही होता है तो ऐसा करने का सही तरीका योग है.

योग के प्रकार – type of yoga

योग का रुग्वेद में उल्लेख मिलता है. प्रश्न उपनिषद में भी उनकी व्याख्या है. पतंजली रुषी ने योग के सूत्रों की रचना की है. भगवद गीता में भी योग के बारेमे छठा अध्याय है. इनके आलावा योग को ज्ञान योग, भक्ति योग, राज योग अष्टांग योग, लय योग आदि अलग अलग नामो से जाना जाता है.

सीधी सी बात है योग में प्रमुख सिध्धांत एक ही है जो उपर बताया गया है. लेकिन उनकी रजुआत कुछ अलग तरीके से हुई है और किसी मार्ग में योग की  उच्च स्थिति को पाने के लिए जो भी अलग अलग साधन के वर्णन किये गये है उनका योग के अलग अलग नाम के रुपमे लिया गया है. इनके अलावा हठ योग भी है जो body को किसी तरह इस प्रकार बना देता है जो मन को पूर्णता की और ले चले.

दूसरी बात यहाँ पे यह है की हम योग का अभ्यास इसलिए करते है..

हमे योग का अभ्यास इस लिए करना है क्योकि हम कुछ ऐसा चाहते है जो हमे दिव्य बनाये, चेतना से भरपूर बनादे. ये बात को पूरी तरह समजकर यहाँ आगे बढ़ना है. हमारे शरीरमें तंदुरस्ती, स्फुर्तिलापन, ओजस, लचीलापन, body ka look out मतलब की figure सही तरीके से हो जाना यह है शाररिक स्तर पर विकाश.

मनमे ताजगी, एक जोश, आत्मविश्वास, हर हमेंशा एक नई सोच मतलब की एक दिव्य विचार जो हमें कुछ करने को प्रेरित करे, तनाव से मुक्ति, कइ सारे मानसिक रोगों से छुटकारा, जीवन में हर डग पर उत्साह और आनंद, मुसीबत के वख्त एक अजबसी धरपत मतलब की होश हवाश न खो देना. परिपूर्णता का अहेसास यह हमारे मन के स्तर पर फायदे है.

प्राण के स्तरपर नियमत प्राणकी गति उनके द्वारा कई रोगों से छुटकारा उतना ही नही जो मनके स्तर पर फायदे है उस फायदे के काफी हद तक नजदीक पहोच जाना, विविध बंधो के अभ्यास द्वारा प्राण और अपान को जोड़ना और उनसे कुछ दिव्य ओजस और आनंद को पाना.

निरंतर आनंद जिनका वर्णन करना शब्दों में मुस्किल है लेकिन में बड़े अनुभव से कहूँगा की खान, पान और मैथुन से कई गुना मतलब अगणित ज्यादा आनंद यहाँ पे है . कुछ अजीब सी शांति, अजीबसा हलकापन और ताजगी जैसे किसीने आनंद की पूरी बाल्दी हम पर डाली हो. में बहुत कहना चाहता हु लेकिन कह नहीं पा रहा हु इस आनंद के बारे में ….

यह सब कुछ है उन चेतना के बहाव के कारन जो supreme power से आ रहा है. यही चेतना का सुखद और अद्भुत मिलन योग है. वही हमारा स्वरूप है.

Flow of divine energy -दिव्य चेतना का बहाव

यहाँ उन सूत्रों को भी सहज मार्ग से समजाने का प्रयास किया गया है. इतना ही नहीं उनके भीतर छुपा हुवा गर्भित अर्थ और दिव्य चेतना के बहाव की और कैसे जा शकते है उनके बारेमेभी बताया जायेगा.

उन चेतना का बहाव आपकी और करने से ROUTINE LIFE में भी बड़ा परिवर्तन आएगा. अलग स्तरमें धीरे धीरे उपरकी और पहोचाया जायेगा. आगे बढ़ते हुवे ये तन और निरंतर सोचता हुवा मन हमारे लिए साधन बन जायेगा. चेतना का बहाव हो शकता है लेकिन अनुशासित तरीके से अभ्यास जरुरी है. थोडा मार्गदर्शन जरूरी है.

अगर कोई ये कहे की योग तो एक ही है तो इतना सब कैसे कर शकता है. उनका उत्तर यह है की योग हमारी क्षमताऔ को भीतरसे बढ़ा देता है. जो ये सारे कार्यमे जरूरी है. बाहरी विपरीत दबाव के कारन ये दिव्यता प्रगट रुपमे नहीं आती इसीलिए ये सारी दिकते उठ खडी होती है.

उतना ही नहीं आगे बढ़ना चाहता है. तो पूर्ण दिव्य अनुभूति भी कर शकता है. In reality योग अद्भुत पध्धति है. में यहाँ पे technique द्वारा ये बात समजाने की कोशिश करूंगा. में यहाँ पे पूर्ण योग तक लिखुगा मतलब की सामान्य ज्ञान से लेकर पुर्णता की चरम सीमा तक का ज्ञान यहा पर परोसा जायेगा और जो पुरे धैर्य के साथ उनका अध्ययन करेगा उतना ही नहीं उनका पालन करेगा वह जरुर सफल होगा.

Yoga ka prayog-योग एक प्रयास

योग के पहलू पर हम गहराई से सोचते है तो हमें पता चलता है की यह मार्ग एक प्रयास है. हम इन बातको जानने के लिए हमारे आसपास की वनस्पति, प्राणी, जीवजन्तु आदि के जीवन को देंखेगे. वनस्पति के पास चलने फिरने की शक्ति नहीं है.

फिरभी उनका विकास होता है. वह बढती है, उनमे पुष्प आते है, फल आते है. उनकी वृद्धि होती है. जर्जरित हुवे पर्ण निचे गिर जाते है और नये पर्ण आते है. इस तरह से उनमे परिवर्तन आता रहता है लेकिन चलने फिरनेकी शक्ति उसमे नहीं है. जबकि प्राणी, पक्षी और जिव जंतु में चलने फिरने की क्षमता है.

इस बात को आगे तक ले जाये तो मनुष्यमे बुध्धि है उतना ही नहीं उसमे दिव्य चेतना supreme power के अनुभव करने की क्षमता है. उसी क्षमता को जगाना है. तब ही इससे भी आगे की यात्रा तय हो पायेगी वरना फिरसे उन्ही निम्न स्तर पर रहना पड़ेगा.

इसीलिए मनुष्य जन्म एक प्रयास है कुछ नया करने का, कुछ पाने का, दिव्यता का एक निरतिशय आनंद को प्राप्त करने का. हमारे पासे स्मरण शक्ति है और कल्पना शक्ति है. इतना ही नही मनुष्य के भीतर एक ऐसी क्षमता है की वह तन और मन से पर जो अपने आप की चेतना है उसमे एकाकार हो शकता है.  

Knowing yourself, inside and outside

योग एक कला है. योग एक विज्ञान है. हमारा जीवन हमें मिला है. जन्म से लेके मृत्यु तक हम यह जान नही पाते की हम कौन है. मूल गत बात यह है की हमारे सामने जो भी समय और संजोग आते है उन्ही के आधार पर हमारी सोच उठती है.

उन्ही सोच के आधार पर हम जीवन में सारे अनुभव करते है. लेकिन इन सारी उलझनों में हम जो हमारा मूलतः सवरूप है उनकी दिव्य और आनंदमई अनुभूति नहीं कर पाते. अगर हमारे सामने कोई चिंता प्रेरक बात उठती है तो हम चिंतित हो जाते है और अगर हमारे सामने कोई सुखप्रद बात आती है तो हम आनंद में आ जाते है.

वास्तव में ये सारा ब्रह्माण्ड एक दिव्य चेतना और दिव्य उर्जा से बना हुवा है. उस उर्जा और चेतना से भिन्न भिन्न प्रकार की चीज वस्तुऐ बनती है और फिर उनमे परिवर्तन आता रहता है. वह नये स्वरूप में प्रगट होती है.

और धीरे धीरे उपने स्वरूपमे लय हो जाती है. इसी के आधार पर जन्म है और मृत्युभी यही है. मतलब की जब कोई चोक्कस समूह धीरे धीरे इकठ्ठा हो जाते है तब हम उसे जन्म कहते है. जब वह सब विखुटे होते है, मतलब आकाश, वायु, जल विगेरा अपने मुल स्वरूप में परिवर्तित हो जाते है.

तब उस विघटन को ही मृत्यु कहते है. इसी तरह से सारा ब्रह्माण्ड एक दुसरे के साथ जुड़ा हुवा है. उनकी अनुभूति करना मतलब की हममें ये सारा ब्रह्माण्ड है ऐसा अनुभव् करना मतलब हमारी दिव्य चेतना को जगाना जो ब्रह्माण्डकी अनुभुती कर सके वही तो योग है.

all is depend our mind- मन ही सारी सृष्टि दर्शन में निर्णायक है

हमारे भीतर और हमारे बहार दोनों एक ही है ऐसा देखना और महसूस करना योग है. उपनिषद भी कहते है की यहाँ पे दो हे ही नहीं. एक ही है लेकिन जब हमारी चेतना मन के साथ और उनके विपरीत चिन्तन के साथ जुडी है इसलिए उनके मुताबिक यहाँ पे हम सब देखते है.

अगर मन विषाद में है तो हम सब कुछ विषादग्रस्त देखते है. मन टेंशन में है तो सब कुछ बस एक बोज जैसा दीखता है. लेकिन उनसे विपरीत जब हम उत्साह में है, आनंद में है, खुश है तो ये सब बहुत अच्छा लगता है. यही राज है की हमें जगत की अनुभूति भिन्न प्रकार से होती है लेकिन वास्तव में ये सब एक ही है. ऐसा बृहद द्रष्टि को पाना योग है.

जो हमे दिखाई नहीं देता लेकिन यही सच है. हमारे जीवन में ये शक्ति और चेतना जो हमें निरंतर आनंद और सफलता प्रदान करती है उन्हें प्राप्त करना सहज है. एक ही चेतना या उर्जा का बना हुवा ये पूरा universe हमारे भीतरभी वही दिव्यता है.

हमे निरंतर हमारा खुदका अहसास होता है यही उनका प्रमाण है. यहाँ मे एक बात जरुर कहुगा की ये बात हम कई लोगो से सुनते आये है. फिर भी महसूस नहीं कर पाते उनका कारण जानने के लिए हमें आगे की और पढ़ते रहना चाहिए.

यहाँ पर जरूरी है जानकारी और अभ्यास की. हम पूरी बारीकी से उस चेतना का बहाव आपकी और हो और ठीक तरीके से उनका इस्तमाल किया जा शके. ऐसा करने का प्रयास करेगे. इसके लिए आपको मुझसे जुड़े रहने की आव्यश्कता है. जिस तरह से टीवी, मोबाईल और रेडियो जैसे उपकरण में connectivity होनी चाहिए.

Connectivity is important

जुडाव यहाँ जरूरी है. बस में आपकी और से उतना ही चाहता हु. जुडाव मतलब की निरंतर जुड़े रहना. ये मनसे भी हो शकता है मतलब की संकल्प से भी हो शकता है. हा पतंजली योग शाश्त्र में इनके बारेमे अंगुली निर्देश किया गया है. लेकिन उनके सूत्र को सामान्य जन मानस के लिए समजना कठिन है. इसीलिए योग शाश्त्र के उन सूत्रों में से जो हमारे जीवनमे बहुत परिवर्तन ला शकते है उन सभी की वन्दना की गई है

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