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जीवन में आनंद का अनुभव कैसे होता है ? सुख और आनंद के बिच सम्बन्ध
आनंद का अनुभव कौन करता है ? जब सुख मिले तब आनंद न भी मिले और आनंद मिले तब सुख न भी हो ऐसा हो शकता है.
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आनंद और निष्क्रियता के बिच क्या सम्बन्ध है ? क्या आनंद का अनुभव निष्क्रियता का मार्ग है
कभी कभी ऐसा ख्याल मन में आता है की हमे आनंद मिले इसलिए केवल बैठना ही है तो वह निष्क्रियता को प्रोत्साहन नही देता
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happy life tips
यहा पर कुछ ऐसी बाते जो जीवनमे बहुत उपयोगी है खुश रहने के लिए वह बताई गई है
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how to live happy in life-जीवन में आनंदित कैसे रहे
About Lesson

इस वीडियो में चर्चे गये टोपिक 

हमारा जीवन कोई बेलगाडी की तरह नही की हम जीवन का भार ही उठाते रहे.

जीवन में हमे कुछ करना भी है और साथ साथ आनंद का अनुभव भी करना है.

प्रत्येक जिव आनंद का अनुभव करने के लिए बेचेन रहता है. उसे आनंद चाहिए, कुछ ख़ुशी चाहिए.

अगर जीवन में आनंद नही, नियमित कर्म में आनंद नही तो जीवन का कोई अर्थ नही ऐसा हमे लगेगा.

तुलनात्मक अभ्यास और भावी सोच, कर्म के बारेमे निरंतर सोचना हमे तुरंत ही बेचेन कर देता है. क्या करे हमे समज ही नही आता ?

सुख और आनंद के बिच भेद है अगर मन कोई और जगह पर चला जाए तो तुंरत ही हमे आनंद की अनुभूति नही होगी भले ही कितनी सारी सुख सुविधा हमारे पास हो.

मन पूर्व ग्रह में ही डूबा रहे तो वह कई और आनंद की तलास करता रहेगा. मुजे ये मिल जाये तो आनंद मिलेगा ऐसा सोचता रहेगा. इसलिए मन को वर्तमान में रखे तो आनंद निरंतर मिल शकता है 

 

how to live happy life, how to live a happy life 

we want to pleasure and full of joy in our life and so that we try to do something but when our mind think about the result and comparison. suddenly we feel misery and discontentment. 

If some one feel self awareness, constant pleasure become his normal stage. But if he tries to find pleasure in different direction he always remain blank. Because every stage of happiness he want to more and more.. it is endless process… life is limited and wishes is unlimited.. so he never feel constant pleasure in his life.