यहाँ पर एक रसप्रद विषय के बारेमे चर्चा की गई है.
बात कुछ इस तरह की है की हमे कार्य तो करना ही है क्योकि अगर कार्य नही करेगे तो प्रमाद आ जायेगा. उस प्रमाद से छूटना तो है ही.
क्योकि प्रमाद में तो मन की स्थिति और बिगड़ जाएगी क्योकि ये तो तमोगुण प्रधान है. इसलिए हमे क्या करना चाहिए की चेतस स्थिति में रहकर कार्य करना चाहिए.
यहा पर यह होगा की हम कार्य तो करते रहेगे लेकिन हमे पता ही नही चलेगा की हम कर रहे है मतलब की समय का जो भान हम भूल जायेगे. इतने एकाकार हो जायेगे और आनंद में भी रत हो जायेगे आप ऑफिस में हो घरमे हो या और कही पर भी क्यों न हो लेकिन कार्य करने की ये पध्धति जरुर काम आएगी.
यह ज्ञान practical जगत में बहुत ही उपयोगी है.
सामान्य तौर पर यह होता है की हम कार्य करते है लेकिन हमारा ध्यान कार्य में नही होता इसलिए कार्य में से जो आनंद मिलता है वह हमे नही मिलता मन कही और भटकता रहता है. जो हमे अचेतस स्थिति में डाल देता है. यहा पर कार्य करे तो ध्यान पूरा उसमे ही दे लेकिन निष्क्रियता से बैठे न रहे क्योकि बैठे रहने से हमे प्रमाद और आलस्य आ जाता है.
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